1.साँभर झील:-
- यह झील (जयपुर) फुलेरा तहसील में स्थित है।
- यह भारत में स्थित दुसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
- इस झील का निर्माण चौहान वंश के शासक वासुदेव ने करवाया था।
- देश में नमक का उत्पादन का 8.7%भाग यहां से उत्पादित होता है।
- यह खारे पानी की झील नागौर में स्थित है।
3.नक्की झील:-
- यह झील राजस्थान में सिरोही जिले के माउंट आबू मे स्थित है।
- यह झील राजस्थान की सबसे ऊँची और गहरी झील है।
- यहां एक चट्टान की आकृति महिला के समान है,जिसे नन रॉक कहते है।
- इस झील के टापू पर रघुनाथ जी का मंदिर है।
- इस झील का निर्माण ज्वालामुखी के उद्भेदन से हुआ था अर्थात यह प्राकृतिक झील है।
- यह झील राजस्थान में बीकानेर जिले के पास कोलायत नामक स्थान पर यह कोलायत झील है।
- यहीं पर कपिल मुनि का आश्रम भी स्थित है।
- कोलायत झील का निर्माण कपिल मुनि ने किया था।
- इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासन काल में एक पिछु नामक बनजारे ने किया था।
- यह मीठे पानी की झील है।
- इस टापू पर दो महल है :-
2.जगमन्दिर।
- इस झील के पास 'गलकी नटणी' का चबुतरा बना हुआ है।
- मुगल वंश के शासक शाहाजाहाँ ने अपने पिता से विद्रोह के समय यहां शरण लिया था।
- फलौदी (जोधपुर) यह खारे पानी की झील है।
- यह झील राजस्थान के अजमेर से 12km. की दूरी पर पुष्कर नामक स्थान पर पुष्कर झील स्थित है।
- यह झील राजस्थान की सबसे पवित्र झील है।
- इस झील का निर्माण ज्वालामुखी के उद्भेदन से हुआ अर्थात यह एक प्राकृतिक झील है।
- इस झील के चारो तरफ अनेक प्राचीन मन्दिर है।
- यहां ब्रह्ममा जी का विश्व प्रसिद्ध एकमात्र मन्दिर है।
- इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचंद पारिक ने करवाया था।
- राजस्थान की सबसे पवित्र झील होने के कारण इस झील को तीर्थों का मामा या तीर्थराज भी कहा जाता है।
- यह झील जोधपुर में स्थित है।
- इस झील का निर्माण सन् 1159 में परिहार वंश के शासक बालक राव ने करवाया था।
- महाराजा सुरसिंह ने बालसमंद झील के बीच में अष्ट खम्भा महल का निर्माण किया।
- यह मीठे पानी की झील है।
- यह जैसलमेर में है। तथा यह खारे पानी की झील है।
- यह नागौर मे है।यह खारे पानी झील है।
- यह झील उदयपुर जिले में स्थित है।
- यह विश्व में मीठे पानी की दुसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
- इस झील का दुसरा नाम ढेबर झील भी है।
- इस झील का निर्माण मेवाड़ के शासक राणा जयसिंह ने सन्1687-91 में गोमति नदी पर निर्माण किया।
- इस जयसमंद झील से उदयपुर जिले को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है।
- इस झील में 7 टापू है।
- इनमें से कुछ टापू छोटे है और कुछ टापू बड़े है।
- छोटे टापू का नाम प्यारी है और टापू का नाम बाबा का भगड़ा है।
12.आनासागर झील:-
- यह झील अजमेर शहर के बीच स्थित है।
- यह मीठे पानी की झील है।
- इस झील का निर्माण सन् 1137ई. में राजा अजयराज के पुत्र अर्णोराज चौहान के द्वारा कराया गया।
- मुगल शासक शाहाजाहाँ ने यहां पर 12 दरी का निर्माण करवायाऔर जाहांगीर ने दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसको आज के समय में सुभाष उद्यान कहते है।
- यह चुरु में स्थित है,यह खारे पानी की झील हैँ।
- यह मीठे पानी की झील है।
- यह उदयपुर में स्थित है।
- इस झील का निर्माण सन् 1559 से 1564 में महाराणा उदयसिंह द्वारा किया गया था।
- यह झील राजस्थान में राजसमंद जिले के कांकरोली के पास स्थित है।
- इस झील का निर्माण1 1662 ई. में महाराणा राजसिंहा के द्वारा करवाया गया था।
- इस झील का जो उत्तरी भाग है वो 'नो चोकी' कहलाता है।
- यहां पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों से बनी राजप्रशस्ति है इस चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है।
- यह प्रशस्ति संसार की सबसे बड़ी राजप्रशस्ति है।
- यह खारे पानी की झील है।
- यह बीकानेर जिले के लूनकरणसर नामक स्थान पर स्थित है।
- यह मीठे पानी की झील है।
- यह अजमेर में स्थित है।
- इसका निर्माण अंग्रेज इंजीनियर फॉय के निर्देशन में किया गया।
- यह झील अलवर में स्थित है।
- इस झील के किनारे अलवर के महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी के लिए सन् 1845 में एक शाही महल एक शिकारी लौज का निर्माण करवाया।
19.पचपदरा झील:-
- यह खारे पानी की झील बालोतरा(बाड़मेर) में स्थित है।
- यह झील फतेहसागर झील उदयपुर में स्थित है।
- यह मीठे पानी की झील है।
- इस झील का निर्माण महाराणा जयसिंह द्वारा 1678 ई. में करवाया गया था।
- लेकिन इस झील का बाद में पुनर्निर्माण 1889ई. मे महाराजा फतेहसिंह द्वारा किया गया।
- इस झील में एक टापू है जिस पर एक नेहरू उद्यान है।
- इस झील में एक सौर वैधशाला है जो 1975 में भारत की पहली सौर वैधशाला स्थापित की।
- यह सौर वैधशाला अहमदाबाद संस्थान ने स्थापित की थी।
- यह झील राजस्थान में नागौर जिले के डीडवाना नामक स्थान पर स्थित है।
- यह खारे पानी की झील है।
- परन्तु इस झील का नमक खाने योग्य नहीं है।