Tuesday, May 23, 2017

राजस्थान के लोकगीत



राजस्थान के लोकगीत

1.लांगुरियायह लोकगीत करौली क्षेत्र की कुल देवी 'कैला देवी' की आराधना के लिए गाया जाता है।
2.पावणा यह गीत नये दामाद के पहली बार ससुराल आने पर स्त्रियों द्वारा यह 'पावणा' गीत गाया जाता है।
3.ढोलामारु यह सिरोही का लोकप्रिय गीत है,यह गीत ढोला-मारु के प्रेम-प्रसंग पर आधारित है।
4.हिचकी  यह अलवर और मेवात का लोकप्रिय प्रसिद्ध लोकगीत है।
 5.घूमरयह राजस्थान का प्रसिद्ध लोकगीत है,यह गीत स्त्रियों द्वारा गणगौर अथवा त्यौहारों पर घुमर नृत्य के साथ यह गीत गाया जाता है।
6.चिरमीइस गीत में चिरमी के पौधे को संबोधित कर के बाल ग्राम वधु द्वारा अपने भाई व पिता के इंतजार के समय की मनोदशा का चित्रण किया गया है।
7.रसियायह गीत भरतपुर, ब्रज,और धौलपुर आदि क्षेत्रों में गाए जाने वाला गीत है।
8.मूमलयह गीत जैसलमेर का एक श्रृंगारिक लोकगीत है,इस गीत में लोद्रवा की राजकुमारी मुमल की सुन्दरता का वर्णन किया गया है।
9.दुपट्टायह गीत शादी के अवसर पर गाया जाता है, यह गीत दूल्हे की सालियों के द्वारा गाया जाने वाला गीत है।
10.घुड़लायह गीत मारवाड़ क्षेत्र में गाया जाता है। यह गीत होली के बाद घुड़ला त्यौहार के अवसर पर कन्याओं के द्वारा गाये जाने वाला लोकगीत है।
11.काजलियोयह एक 'श्रंगारिक गीत ' है जो खासकर होली के अवसर पर ही चंग पर गाया और बजाया जाता है।
12.बीछूड़ोयह हाड़ौती क्षेत्र का लोकप्रिय गीत है, इस गीत में स्त्री जिसको बिच्छू ने काट लिया है और वो मरने वाली है,वह अपने पति को दूसरी शादी करने के लिये बोलती है।
13.रातीजगारातभर जाग कर गाए जाने वाले किसी देवता के गीत।
14.केसरिया बालमयह राजस्थान का लोकप्रिय गीत है, यह गीत स्त्री अपने पति का इंतजार करती हुई विरह व्याथा है , यह रजवाड़ी गीत है।
15.झोरावायह जैसलमेर जिले का लोकप्रिय लोकगीत है ,इस गीत में पत्नी अपने पति के परदेस जाने पर उसकी याद में गाती है।
16.पीपलीयह बीकानेर, शेखावाटी और मारवाड़ क्षेत्र में गाया जाने वाला लोकगीत है।यह गीत वर्षा ऋतु में स्त्रियों द्वारा गाया जाता है।यह एक विरह गीत है।
17.गोरबंदयह मरुस्थलीय क्षेत्र और शेखावाटी क्षेत्र का लोकप्रिय लोकगीत है।गोरबंद एक ऊँट के गले का आभूषण है।
18.पंछीड़ायह ढूँढाड़ और हाड़ौती क्षेत्र का लोकगीत है, यह गीत मेलों के समय पर ढोलक ,मंजीरे और अलगोजे के साथ यह गीत गाया जाता है।
19.जच्चा गीतयह गीत बच्चे के जन्म अवसर पर गाया जाता है।
20.कांगसियोयह मारवाड़ क्षेत्र का लोकगीत है, और यह गीत कंघे पर आधारित है।
21.कामणयह गीत वर को जादू-टोने से बचाने के लिये गाया जाता है।
22.सुपणायह गीत विरहणी के सपने से सबंधित गीत है।
23.कुरजाँयह एक विरह गीत है जिसमें विरहणी अपने प्रियतम को संदेश को भिजवाने के लिए गाती है।
24.जीरोयह जालौर क्षेत्र का लोकगीत है,इस गीत स्त्री अपने पति को जीरा नहीं बोने को बोलती है अर्थात विनती करती है।
25.जलो जलालयह गीत शादी के अवसर पर गाया जाता है, यह गीत वधू के घर से स्त्रियां जब वर की बरात का डेरा देखने जाती है तब यह गीत गाया जाता है।
26.पणिहारीयह राजस्थान का लोकप्रिय लोकगीत है, इस गीत में स्त्री का पतिव्रता धर्म पर अटल रहना बताया गया है।
27.सूंवाटियायह गीत उत्तरी मेवाड़ क्षेत्र की भीलनी स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला लोकगीत है।इस गीत में परदेश गये पति को पत्नी इस गीत के माध्यम से संदेश भेजती है।
28.लावणीयह एक श्रृंगारिक गीत और भक्ति गीत है।
29.मोरियाइस लोकगीत में एक ऐसी लड़की की व्यथा है , जिसका रिश्ता तो तय हो चुका है लेकिन शादी में देरी है।
30.हमसीढ़ोयह उत्तरी मेवाड़ के भीलों का प्रसिद्ध लोकगीत है। इस गीत को भील जाति के स्त्री-पुरूष एकसाथ मिलकर गाते है।
31.सीठणेयह एक गाली गीत है। जो विवाह के अवसर पर स्त्रियों द्वारा हंसी मजाक के लिये गाये जाते है।
32.जकड़िया गीतयह गीत पीरों की प्रशंसा के लिए गाया जाता है।
33.हजरस गीतयह गीत राजस्थान की महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला भक्ति गीत है यह गीत श्री राम और श्रीकृष्ण की भक्ति में गाया जाता है।
34.कागा गीतइस गीत में विरहिणी कौवे को संबोधित करके अपने प्रियतम के आने का संकेत मानती है,और कौवे को लालच देकर उड़ने को बोलती है।
35.इडुणीयह गीत स्त्रियों द्वारा पानी भरने जाते समय गाती है।
36.हिण्डोल्या गीतयह गीत राजस्थानी स्त्रियों द्वारा श्रावण मास में झुला-झुलते समय गाया जाता है।
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