Wednesday, May 10, 2017

जयगढ़ दुर्ग


  • यह दुर्ग ढूंढाड़ के कछवाहा राजवंश की पूर्व राजधानी आमेर  में स्थित विशाल जयगढ़ दुर्ग है।
  • वैसे तो इस दुर्ग का निर्माण जयसिंह प्रथम ने करवाया था अपने लुटे हुए खजाने को छुपाने के लिए, लेकिन एतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार कहा जाता है कि इस दुर्ग का निर्माणकर्ता कछवाहा वंश के महाराजा मानसिंह को माना गया है।
  • जयगढ़ दुर्ग अन्य दुर्गों से कई दृष्टियों से विशेष है।
  • यह दुर्ग अपनी कई  विस्मयकारी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है, और जयगढ़ दुर्ग कई सदियों तक एक विचित्र रहस्यात्मकता से मण्डित रहा है, इसलिए इसे रहस्यमयी दुर्ग भी कहा जाता है।
  • यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिस के अंदर तोप ढालने का कारखाना भी स्थित है,इस कारखाने को सिलहखाना कहते है।
  • एशिया की सबसे बड़ी तोप जिसका नाम "जयबाण तोप" है, वो तोप इसी दुर्ग में स्थित हैं। 
  • "जयबाण तोप" का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा किया गया था।
  • इस तोप की लम्बाई 20 फीट तथा मारक क्षमता 22 मील है।
  • इस विशाल तोप को देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते है।
  • इतिहासकारों के अनुसार बताया गया है कि इस दुर्ग में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी।
  • यहाँ तक की महाराजा भी अपने विश्वासनीय दो किलेदारों में से अगर एक भी अनुपस्थित होता था तो वे इस दुर्ग में प्रवेश नहीं करते थे।
  • इस दुर्ग का मुख्य द्वार हमेशा 24 घंटे बन्द ही रहते थे और उस दरवाजे के पास पहरेदार तेज धार की तलवार लेकर 24 घंटे पहरेदारी करते थे।
  • इस दुर्ग में क्या है और क्या हो रहा है,किसी को भी नहीं पता था इन ही सभी कारणों की वजह से इस दुर्ग को रहस्यमयी दुर्ग कहा जाता है।
  • यह भव्य और सुदृढ़ दुर्ग कैसे बना और कब बना इस के बारे में प्रमाणिक जानकारी का आभाव है।
  • जनश्रुति के अनुसार बताया जाता है कि इस जयगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने अपनी राजधानी आमेर की सुरक्षा के लिए करवाया था।
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